लखनऊ. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को आतंकी संगठन आईएसआईएस के खिलाफ राष्ट्रव्यापी कार्रवाई में शुक्रवार को बड़ी सफलता मिली. एनआईए की लखनऊ स्थित विशेष अदालत ने आतंकवादी गतिविधियों की साजिश रचने के मामले में आठ लोगों को दोषी ठहराया है. एनआईए कोर्ट सोमवार को इन सभी दोषियों की सज़ा सुनाएगी.
एनआईए के मुताबिक, ये सभी 8 लोग आईएसआईएस के सदस्य थे और इन्होंने इस्लामिक स्टेट तथा उसके नेता अबू बक्र अल-बगदादी के प्रति ‘बायत’ (निष्ठा) की शपथ ली थी. इनमें से आतिफ मुजफ्फर समूह का अमीर (नेता) था और डॉ. जाकिर नाइक के प्रचार से प्रभावित था. वह अक्सर आईएसआईएस से संबंधित वेबसाइटों पर जाता था, जहां से वह सामग्री और वीडियो डाउनलोड करके अपने समूह के अन्य लोगों के साथ साझा कर रहा था.
2017 में गिरफ्तार किए गए थे 8 लोग
आईएसआईएस से जुड़ाव के दोषी पाए गए इन लोगों को वर्ष 2017 में यूएपीए, आर्म्स एक्ट और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कानपुर साजिश मामले में गिरफ्तार किया गया था. इन आठ लोगों के खिलाफ लखनऊ एटीसी ने केस दर्ज किया था, जिसे 14 मार्च 2017 को एनआईए के हवाले कर दिया गया था.
एनआईए के मुताबिक, जांच से पहले पता चला था कि आरोपियों ने कुछ आईईडी (विस्फोटक) तैयार कर परीक्षण किए थे और उन्हें यूपी के विभिन्न स्थानों पर लगाने की असफल कोशिश की थी. लखनऊ के हाजी कॉलोनी स्थित उनके ठिकाने से कथित रूप से जब्त की गई एक नोटबुक में संभावित लक्ष्यों और बम बनाने के विवरण के बारे में हस्तलिखित नोट्स मिले थे.
एनआईए के मुताबिक, जांच में आरोपियों के आईईडी बनाने और यहां तक कि हथियार, गोला-बारूद और आईएसआईएस के झंडे के साथ कई तस्वीरें भी मिली थीं. इस समूह ने कथित तौर पर विभिन्न स्थानों से अवैध हथियार, विस्फोटक आदि एकत्र किए थे. आरोपियों में से एक आतिफ मुजफ्फर ने यह भी खुलासा किया था कि उसने विभिन्न इंटरनेट स्रोतों से सामग्री एकत्र करने के बाद आईईडी बनाने की तकनीकों पर जानकारी संकलित की थी.
भोपला-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन धमाके से हुआ ISIS मॉड्यूल का खुलासा
जांच में यह भी पता चला था कि आतिफ और तीन अन्य, जिनकी पहचान मोहम्मद दानिश, सैयद मीर हसन और मोहम्मद सैफुल्ला के रूप में हुई है, भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में लगाए गए आईईडी को बनाने के लिए जिम्मेदार थे. 7 मार्च, 2017 को इस ट्रेन में हुए धमाके में 10 लोग घायल हुए थे. इस मामले की जांच भी NIA ने की थी और फिलहाल परीक्षण के अधीन है.
इस ट्रेन धमाके के मामले में कानपुर सिटी के रहने वाले मुख्य आरोपी मोहम्मद फैसल की गिरफ्तारी के बाद आईएसआईएस समर्थकों के इस मॉड्यूल का पता चला. फैसल द्वारा किए खुलासे के कारण उसके दो सहयोगियों, गौस मोहम्मद खान उर्फ करण खत्री और अजहर खान उर्फ अजहर खलीफा को 9 मार्च को गिरफ्तार किया गया.
इस मामले की जांच अपने हाथ में लेने के बाद एनआईए ने पांच अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था. उनकी पहचान कानपुर सिटी के रहने वाले आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश, आसिफ इकबाल उर्फ रॉकी और मोहम्मद आतिफ उर्फ आतिफ इराकी और उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के रहने वाले सैयद मीर हुसैन के रूप में हुई. एनआईए ने इस मामले में गिरफ्तार सभी आठ आरोपियों के खिलाफ 31 अगस्त, 2017 को आरोप पत्र दायर किया था.
भारत में ISIS की गतिविधियों को बढ़ाने में जुटे थे आरोपी
एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक, ये सभी 8 लोगों आईएसआईएस की विचारधारा का प्रचार करने और भारत में इसकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आए थे. इस उद्देश्य की खोज में मोहम्मद फैसल, गौस मोहम्मद खान, आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश, मोहम्मद सैफुल्ला ने लैंड रूट की खोज की थी. उन्होंने ‘हिजरत’ (प्रवास) करने के लिए कोलकाता, सुंदरबन, श्रीनगर, अमृतसर, वाघा बॉर्डर, बाडमेर, जैसलमेर, मुंबई और कोझिकोड सहित देश भर के कई प्रमुख शहरों का दौरा किया था.
एनआईए के मुताबकि, उनकी जांच में पता चला कि गौस मोहम्मद खान और आतिफ मुजफ्फर ने सुंदरबन के माध्यम से बांग्लादेश को पार करने के लिए एक मार्ग का पता लगाया था. वहीं फैसल, आतिफ और सैफुल्ला ने कुछ आतंकवादी समूहों से संपर्क करने के लिए मार्च 2016 में कश्मीर की यात्रा की थी, जो उन्हें पाकिस्तान जाने में मदद कर सकते थे, जहां से वे सीरिया में आईएसआईएस नियंत्रित क्षेत्रों में जा सकते थे.
वहीं एक अन्य आरोपी सैफुल्ला 7 मार्च, 2017 को हाजी कॉलोनी में एटीएस यूपी के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. पुलिस ने हाजी कॉलोनी में समूह के ठिकाने से कई हथियार और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए थे. इन बरामदगी में बड़ी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और आईईडी बनाने के लिए आवश्यक अन्य सामग्री, और आईएसआईएस के झंडे सहित दस्तावेज (डायरी/साहित्य/हस्तलिखित दस्तावेज), आठ पिस्तौल, 4 चाकू, 7.65 मिमी (630 राउंड जिंदा कारतूस) शामिल हैं.