नई दिल्ली। ऑनलाइन क्लासेज से बच्चों को हो रही मानसिक परेशानियों का जिक्र कर एक 12 साल के बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट से स्कूल खुलवाने की गुहार लगाई। कोर्ट ने बच्चे को हिदायत देते हुए कहा कि उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की जरूरत है। इस तरह की याचिका दाखिल करने के चक्कर में वह न पड़े। कोर्ट ने स्कूल खोलने को लेकर कोई आदेश देने से इनकार करते हुए कहा कि अभी तीसरी लहर का खतरा सामने मंडरा रहे है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने बच्चे से कहा कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। अभी बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है। कोरोना का खतरा टला नहीं है। जहां हालात सामान्य हो रहे हैं, वहां राज्य सरकारें स्कूल खोल रही हैं। बेंच ने कहा कि क्या हम कह सकते हैं कि जो केरल के हालात महाराष्ट्र जैसे हैं या फिर दिल्ली के प. बंगाल जैसे। ऐसे में क्या स्कूल खोले जा सकते हैं। बेंच ने याचिकाकर्ता बच्चे के वकील से कहा- हम ये नहीं कहते कि याचिका कितनी गलत है। या फिर प्रचार पाने के लिए लगाई गई है पर बच्चों को ऐसे पचड़ों में नहीं पड़ना चाहिए। कोर्ट की हिदायत के बाद याचिकाकर्ता ने अर्जी वापस ले ली। बच्चे ने कहा था कि ऑनलाइन पढ़ाई कारगर नहीं है। बच्चे तनाव का शिकार हो रहे हैं। उसने मिड डे मील का हवाला भी अपनी याचिका में दिया था। उसकी अपील थी कि कोर्ट फिजिकल क्लासेज शुरू कराने का लिए आदेश जारी करे जिससे बच्चों को ऑनलाइन सिस्टम से निजात मिल सके। कोरोना के कारण डेढ़ साल से ज्यादा समय से ज्यादातर स्कूल बंद हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन कराई जा रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर का जिक्र कर कहा कि अभी हम एक भयावह खतरे से बाहर निकले हैं। तीसरी लहर आने का अंदेश दिख रहा है। हमें यह भी नहीं पता कि इसका कितना असर होगा। सरकारें अपने हिसाब से बच्चों की पढ़ाई के लिए दिशा निर्देश जारी कर रही हैं। कोर्ट ने कहा कि दूसरे देशों में स्कूल खुलने के बाद बच्चों में कोरोना के मामले बढ़े हैं। अभी हमारे पास डेटा या वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में स्कूल खोलने को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। बच्चों को अभी वैक्सीन भी नहीं लगी है। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोल रही है। अभी बच्चों को वैक्सीन लगाने को लेकर भी नीति स्पष्ट नहीं है। उन्होंने सरकारों को भी हिदायत देते हुए कहा कि उन्हें स्कूल खोलने के बारे में बेहद सावधान से फैसले लेने चाहिए। क्योंकि बच्चों के संक्रमित होने का खतरा बरकरार है। सावधानी नहीं होगी तो संक्रमण फैल सकता है।