नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर को हटा दिया है. इस वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस संबंध में द हिंदू को बताया है. भारत के राष्ट्रपति कार्यालय के एक संदेश में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीडी मिश्रा को लद्दाख का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. इसमें कहा गया है कि माथुर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है.
यह कदम लद्दाख में सिविल सोसाइटी समूहों द्वारा किए जा रहे आंदोलन के बीच आया है. बता दें कि लेह अपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेश के लिए कई संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं, जैसे कि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना जो आदिवासी बहुल क्षेत्रों को सुरक्षा प्रदान करती है. दोनों शक्तिशाली निकायों ने 15 फरवरी को दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है.
1977 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (आईएएस) माथुर को लद्दाख के पहले राज्यपाल के रूप में वर्ष 2109 में नियुक्त किया गया था. यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा छीने जाने के बाद लिया गया था. अनुच्छेद 370 हटाने के साथ जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था, जम्मू कश्मीर और लद्दाख. लद्दाख के पास विधानसभा नहीं है. स्थानीय लोगों ने उपराज्यपाल के हाथों में सत्ता के चाबी और उनके बाहरी होने पर कई साल उठाए थे.
बीते दिनों, लद्दाख के शिक्षा सुधारक और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने कहा था, ‘पहले विधानसभा (जम्मू और कश्मीर) में हमारे चार विधायक थे, अब हमारे पास जीरो प्रतिनिधित्व है. एलजी, जो एक बाहरी व्यक्ति हैं, को हम पर शासन करने के लिए भेजा जाता है. एक आदमी सब कुछ तय करता है. लद्दाख को आवंटित 6,000 करोड़ रुपये का 90% एक गैर-निर्वाचित व्यक्ति के फैसले पर है. वह दबाव या आर्थिक लाभ के चलते कोई भी फैसला ले सकते हैं. जब तक वह मुद्दों को समझेंगे, तब तक उनके जाने का समय हो जाएगा. हम पूर्ण राज्य की मांग कर रहे हैं ताकि हमारी आवाज सुनी जा सके.’