नई दिल्ली। आप नेता व दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक बार फिर से कथित शराब घोटाला मामले में जोरदार झटका लगा है। दरअसल, राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया की दो जून तक न्यायिक हिरासत बढ़ा दी। अब वह दो जून तक जेल में ही रहेंगे। इससे पहले भी उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ाई गई थी। जिसके बाद बीजेपी ने सीएम केजरीवाल के उस दावे पर सवाल उठाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सिसोदिया निर्दोष हैं। उन्हें बेवजह फंसाने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी ने साजिश के तहत उन्हें फंसाया है। वहीं, अब जिस तरह से सिसोसिया को कोई राहत नहीं मिल पा रही है, उस पर बीजेपी ने केजरीवाल के उक्त दावे पर तंज कसा था। सनद रहे कि बीते दिनों सिसोदिया की जमानत याचिक भी खारिज कर दी गई थी। दरअसल, अदालत ने यह कहकर उनकी याचिका खारिज कर दी थी कि सिसोदिया एक बड़ी हस्ती हैं। डिप्टी सीएम जैसे कार्यभार संभाल चुके हैं। ऐसी सूरत में अगर उनके लिए जमानत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं, तो बहुत मुमकिन है कि वो मामले से जुड़े साक्ष्यों को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिसे देखते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
इसके अलावा मनीष सिसोसिया ने मीडिया से बातचीत के दौरान सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर भी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें केजरीवाल सरकार के पक्ष में फैला सुनाया गया है। दरअसल, बीते गुरुवार को कोर्ट ने जमीन, कानून व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सभी मामलों की जिम्मेदारी केजरीवाल सरकार के कांधों पर दे दी है। अब इन मामलों में उपराज्यापल को हस्तक्षेप करना का कोई अधिकार नहीं होगा। बता दें कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991 में संशोधन किया था। ध्यान दें कि इस संशोधन से उपराज्यपाल की शक्तियों में बढ़ोतरी हो गई। उधर, केजरीवाल सरकार का आरोप रहा है कि उक्त कानून में संशोधन से मिली अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर उपराज्यपाल हमेशा सरकार द्वारा लिए गए फैसले पर बेवजह हस्तक्षेप करते रहे हैं। केजरीवाल सरकार का यह भी आरोप है कि उपराज्यपाल यह सबकुछ केंद्र के इशारे पर करते हुए आए हैं।
वहीं, इस कानून में केंद्र द्वारा किए गए संशोधन के विरोध में दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल की थी। जिस पर बीते गुरुवार को कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और यह स्पष्ट कर दिया कि अब जमीन, कानून व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सभी क्षेत्र के संदर्भ में फैसले लेने का विधायी अधिकार केजरीवाल सरकार को ही है।
हालांकि, अह लड़ाई यहीं खत्म नहीं होती है। अगर केंद्र सरकार चाहे तो इस फैसले के विरुद्ध कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है। वहीं, अगर यह याचिका भी खारिज कर दी गई, तो केंद्र क्यूरेटिव याचिका भी दाखिल कर सकती है। हालांकि, अभी ऐसी कोई भी कार्रवाई केंद्र की ओर से नहीं की गई है। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद केजरीवाल सरकार एक्शन मोड में आ चुकी है। बता दें कि कोर्ट के फैसले के बाद एक्साइज विभाग के सचिव को बर्खास्त कर दिया गया और उसके जगह पर नए सचिव की नियुक्ति की गई। उधर, अब इस पर मनीष सिसोदिया ने भी मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा कि ‘मोदी जी संविधान को माने तो बेहतर होगा’। बहरहाल, अब केंद्र सरकार का इस पूरे मामले में क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
Delhi's Rouse Avenue Court extends former Delhi Deputy CM Manish Sisodia's judicial custody till June 2 in the CBI case. Consideration of the charge sheet pending before the court. https://t.co/CafCuSCAd7
— ANI (@ANI) May 12, 2023