नई दिल्ली। हमारी और हमारे देश की सुरक्षा करने वाले सैनिक जो कि सीमा पर खड़े हमारी रक्षा करते है। उनको लेकर एक बड़ा बदलाव होने वाला है। इंडियन आर्मी की वर्दी को लेकर एक फैसला लिया गया है कि उनकी यूनिफॉर्म में अब कुछ चेंज किए जाएंगे। खबरों की माने तो अब भारतीय सेना के जवानों की वर्दी बदलकर उनके फ्लैग रैंक से लेकर ब्रिगेडियर रैंक तक के सभी अधिकारियों की यूनिफॉर्म एक समान करने का फैसला किया गया है। वहीं कुछ ऐसे रैंक भी है जिनकी वर्दी में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा उनकी यूनिफॉर्म वैसी ही रहेगी जैसी उनकी पहले थी। इन रैंक में कर्नल और नीचे की रैंक के अधिकारी का नाम शामिल है।
The Indian Army has decided to adopt a common uniform for Brigadier and above rank officers irrespective of the parent cadre and appointment. The decision was taken after detailed deliberations during the recently concluded Army Commanders' Conference: Sources
— ANI (@ANI) May 9, 2023
वहीं आपको बता दें कि अभी हाल ही में सेना कमांडरों के सम्मेलन में काफी लंबे विचार और मंथन के बाद भारतीय सेना की ओर से यूनिफॉर्म को बदलने का निर्णय किया गया। इसमें काफी विचार के बाद इंडियन सेना की तरफ से यह फैसला लिया गया है कि ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के अधिकारियों का हेडगियर, जूते, गोरगेट बेल्ट और शोल्डर रैंक बैच सभी चीजें सामान होगी। वहीं फ्लैग रैंक ऑफिसर्स को अब किसी तरह की डोरी यूज करने की मनाही है। इनकी वर्दी से डोरी को हटा दिया गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह फैसला रेजीमेंट की सीमाओं से परे, वरिष्ठ नेतृत्व के बीच सेवा मामलों में बराबर पहचान और दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रेजीमेंट की सीमाओं से परे, वरिष्ठ नेतृत्व के बीच सेवा मामलों में सामान्य पहचान और दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और मजबूत करने के लिए, भारतीय सेना ने ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों के लिए एक समान वर्दी अपनाने का फैसला किया है। ये एक निष्पक्ष और न्यायसंगत संगठन होने के लिए भारतीय सेना के चरित्र को भी मजबूत करेगा।
मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल और जनरल सहित ब्रिगेडियर स्तर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों की रेजिमेंटल सीमाएं नहीं होती हैं। भारतीय सेना में, ब्रिगेडियर और ऊपर के अधिकारी वे होते हैं जो पहले से ही इकाइयों, बटालियनों की कमान संभाल चुके होते हैं और ज्यादातर मुख्यालय या प्रतिष्ठानों में तैनात होते हैं।