लखनऊ। हर क्षेत्र में बेहतरी के बाबत सतत जागरूकता सबसे जरूरी है। इसी जागरूकता से पता चलता है कि किसी क्षेत्र में देश-दुनिया में क्या चल रहा है। और, तुलनात्मक रूप से हम कहां हैं? खेतीबाड़ी की बेहतरी और किसानों की खुशहाली के लिए भी जरूरी है कि इससे जुड़े संस्थानों में क्या अद्यतन हो रहा है, यह किसान जानें। इन संस्थानों में जो शोध कार्य हो रहे हैं, वह प्रगतिशील किसानों के जरिये आम किसानों तक कैसे पहुंचे। इस बाबत बहुत पहले “लैब टू लैंड” का नारा दिया गया था। यह नारा आज भी उतना ही प्रासंगिक है। इस नारे को पहली बार योगी सरकार ने “द मिलियन फार्मर्स स्कूल” के जरिये साकार किया। इस सिलसिले को जारी रखते हुए सरकार ने खरीफ के मौजूदा एवं रबी के आगामी सीजन में प्रदेश के 17 हजार ग्राम पंचायतों में किसान पाठशाला आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस पर सरकार करीब 21 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
इस दौरान सामयिक फसलों के लिए खेत की तैयारी से लेकर उन्नत प्रजाति के बीज, बीज शोधन, बोआई का समय, खाद-पानी और समय-समय पर फसल संरक्षा के उपायों की जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी जाएगी। यही नहीं अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के मद्देनजर इस बार मोटे अनाजों की खेती पर भी जोर होगा। अलग-अलग फसलों का जिलेवार प्रति हेक्टेयर, प्रति कुंतल अधिकतम एवं न्यूनतम उत्पादन का पता लगाने के बाद इन किसान पाठशालाओं के जरिये न्यूनतम उत्पादन वाले जिलों में संभव कशिश करके उत्पादन बढ़ाने पर भी फोकस करेगी।
“लैब टू लैंड” नारे को साकार करने के लिए पहले कार्यकाल 2017-2018 में रबी के सीजन में योगी सरकार ने “द मिलियन फार्मर्स स्कूल” (किसान पाठशाला) के नाम से एक अभिनव प्रयोग किया था। हर रबी एवं खरीफ के सीजन में न्याय पंचायत स्तर पर अलग-अलग विषय के विशेषज्ञ किसानों को सीजनल फसल की उन्नत प्रजातियों, खेत की तैयारी, बोआई का सही समय एवं तरीका और समय-समय पर फसल संरक्षण के उपायों की जानकारी देते हैं।