एक तरफ विदेशी धरती पर राहुल गांधी भारत सरकार के खिलाफ विरोध के स्वर बुलंद कर रहे हैं तो दूसरी तरफ भारत में वो आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं। लोग उनके ऊपर भारत विरोधी एजेंडे को चलाने के आरोप लगा रहे हैं। राहुल गांधी द्वारा अमेरिका में दिए गए बयानों को लेकर भारत में खुभ बहस हो रही है। ट्विटर पर लोग कांग्रेस से तमाम सवाल पूछ रहे है। इस बीच पूर्व क्रिकेटर और जाने माने कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने भी राहुल गांधी के ऊपर अप्रत्यक्ष से रूप से हमला बोला है। आकाश चोपड़ा ने ट्विटर पर लिखा, ‘मैंने अभी तक किसी दूसरे देश के विपक्षी नेता को भारत में आते और अपने देश की खेदजनक तस्वीर बनाते हुए नहीं देखा है। जब तक आप किसी प्रकार के समर्थन की मांग नहीं कर रहे हैं, तब तक आपको इसे विदेशी भूमि पर स्पष्ट करने की आवश्यकता क्यों है ??? अपने देश में अपनी लड़ाई लड़ें… मतदाताओं को फैसला करने दें… क्या यह लोकतंत्र का सार नहीं है?’
I’m yet to see an opposition leader from another country coming to India and painting a sorry image of his country. Why do you need to articulate that on foreign land unless you’re seeking some sorta support??? Fight your battles in your own country…allow the electorate to…
— Aakash Chopra (@cricketaakash) June 2, 2023
हालांकि इसमें आकाश चोपड़ा ने कहीं भी राहुल गांधी का नाम नहीं लिया है लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने जो भी लिखा है लोग उसे राहुल गांधी के अमेरिका दौरे से जोड़कर ही देख रहे हैं। आकाश चोपड़ा को इस बीच कुछ ट्विटर यूजर्स ने सियासत में न पड़ने की नसीहत भी दी, कुछ यूजर्स ने आकाश चोपड़ा को भाजपा का प्रवक्ता बताना शुरू कर दिया।
एक यूजर ने उनके ट्वीट पर लिखा, ‘आपके प्रश्न का वास्तविक तथ्यात्मक उत्तर यह है कि विदेशी नागरिकों का पर्याप्त प्रवासी समुदाय भारत में नहीं आया है, जिसमें एक विदेशी नेता आ सकता है और अपनी विचारधाराओं को रख सकता है। ओटीओएच, विदेशों में लाखों भारतीय हैं (यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, यूरोप आदि में) और इसलिए राजनेता, धर्मगुरु, फिल्म सितारों आदि के लिए आसान लक्ष्य है।’ इसपर जवाब देते हुए आकाश चोपड़ा ने लिखा, ‘समझ गया, लेकिन इसके पीछे मकसद क्या हो सकता है? यूके या अन्य देशों में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय समस्याओं को हल करने में आपकी मदद कैसे करेंगे?
आपको बता दें कि राहुल गांधी ने अमेरिका में भारत में दलितों और मुस्लिमों की स्थिति को लेकर कई सवाल खड़े किए थे, उसमें उन्होंने वर्तमान में भारतीय मुस्लिमों की स्थिति की तुलना 1980 के दशक के उत्तर प्रदेश के दलितों से की थी। जिसके बाद उनके इस बयान को लेकर भारत विरोधी छवि पेश करने के तौर पर देखा जा रहा है।