मुंबई। दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर भाजपा शासित केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी NCP भी साथ मिल गया है। उन्होंने मुंबई में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मिलकर समर्थन मांगा है। दक्षिण मुंबई के वाई बी चव्हाण सेंटर में पवार से मुलाकात के दौरान केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी थे। केजरीवाल मुंबई के दो दिवसीय दौरे पर आए हैं।
शरद पवार से मुलाकात के बाद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ”दिल्ली के लोगों के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा लाया गया काला अध्यादेश हम सबको मिलकर संसद में रोकना है। इस विषय पर आज मुंबई में एनसीपी के वरिष्ठ नेता श्री शरद पवार साहब से मुलाकात हुई। एनसीपी और पवार साहब राज्यसभा में दिल्ली के लोगों का साथ देंगे। दिल्ली के लोगों की तरफ से मैं एनसीपी और श्री पवार साहब का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। लोकतंत्र को बचाने की ये लड़ाई हम मिलकर लड़ेंगे।”
दिल्ली के लोगों के खिलाफ़ मोदी सरकार द्वारा लाया गया काला अध्यादेश हम सबको मिलकर संसद में रोकना है। इस विषय पर आज मुंबई में एनसीपी के वरिष्ठ नेता श्री शरद पवार साहब से मुलाक़ात हुई। एनसीपी और पवार साहब राज्यसभा में दिल्ली के लोगों का साथ देंगे। दिल्ली के लोगों की तरफ़ से मैं… pic.twitter.com/uIVKMhKJPE
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 25, 2023
इससे पहले उद्धव ठाकरे और ममता बनर्जी संसद में साथ देने का ऐलान कर चुके हैं। केजरीवाल ने बुधवार को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनके ब्रांद्रा स्थित घर पर मुलाकात की थी। मुलाकात के दौरान उन्होंने दिल्ली पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप की लड़ाई के लिए उनका समर्थन मांगा था। केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप की लड़ाई के लिए समर्थन जुटाने के वास्ते अपने देशव्यापी दौरे के तहत मंगलवार को केजरीवाल और मान ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल की अपनी समकक्ष ममता बनर्जी से मुलाकात की।
केंद्र सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा IAS और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के वास्ते 19 मई को एक अध्यादेश लेकर आई थी। इससे एक हफ्ते पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस, लोक सेवा और भूमि से संबंधित विषयों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सौंप दिया था। किसी अध्यादेश को 6 महीने के भीतर संसद की मंजूरी मिलना आवश्यक होता है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में इस अध्यादेश से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है।