नई दिल्ली। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने 12 जून को सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष की साझा रणनीति पर बड़ा फैसला होने की चर्चा है। इस बैठक में तमाम विपक्षी दलों के बड़े नेता शामिल होने की मंजूरी दे चुके हैं, लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि नीतीश कुमार की बुलाई इस बैठक में उसके बड़े नेता राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हिस्सा नहीं लेंगे। कांग्रेस की तरफ से किसी राज्य के सीएम को पटना में होने वाली बैठक में भेजने की बात सामने आई है।
मीडिया की खबरों के मुताबिक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि राहुल गांधी 12 जून तक अमेरिका के दौरे पर हैं। वहीं, खरगे भी नीतीश की बैठक में नहीं आएंगे। राहुल और नीतीश पहले ही दिल्ली में मिल चुके हैं। इस बैठक में एक सीट-एक प्रत्याशी पर चर्चा होनी है। यानी बीजेपी के खिलाफ हर लोकसभा सीट से विपक्ष का सिर्फ एक ही उम्मीदवार उतारा जाए। हालांकि, इस मामले में पेच है। एक तरफ ओडिशा के सीएम और बीजेडी के अध्यक्ष नवीन पटनायक विपक्ष की एकता से दूर हैं। वहीं, आंध्र प्रदेश के सीएम और वाईएसआरसीपी के जगनमोहन रेड्डी भी पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। ऐसे में दो बड़े राज्यों में विपक्षी एकता की बात संभव नहीं दिख रही। तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव भी कांग्रेस से नाराज रहते हैं। ऐसे में वहां भी एक सीट-एक उम्मीदवार का मसला शायद ही रूप ले सके।
बंगाल की बात करें, तो वहां 3 बार से सरकार बना रहीं ममता बनर्जी भी आखिर टीएमसी की सीटें कांग्रेस को भला क्यों देंगी? ये सवाल उठ रहा है। बंगाल के अलावा यूपी जैसे 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य में भी कांग्रेस की हालत पतली है। यहां समाजवादी पार्टी उससे सीटों पर समझौता शायद ही करे। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले कह चुके हैं कि पार्टी तमाम सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहां एनसीपी और उद्धव ठाकरे की तरफ से अपनी सीटें दिए जाने की भी गुंजाइश कम ही है। कुल मिलाकर अब सबकी नजर 12 जून को होने वाली नीतीश कुमार की बैठक पर है। वहां क्या नतीजा निकलता है, उसी से तय होगा कि विपक्ष लोकसभा चुनाव में एकसाथ लड़ता है या नहीं।