लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अधिकारियों की लापरवाही पर सख्त रूख अपनाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्टीकरण मांगा है। सीएम आदित्यनाथ ने इस बारे में निर्देश देते हुए ये भी कहा है कि भविष्य में अगर ऐसी गलती करते हुए पाए गए तो कड़ी कार्रवाई होगी। बता दें कि पिछले दिनों जनसुनवाई कार्यक्रम में अधिकारियों के मौजूद न रहने का मामला सामने आया था। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएम आदित्यनाथ ने 31 जिलों के डीएम और 24 जिलों के एसपी से स्पष्टीकरण मांगा है। सीएम योगी ने अपने ऑफिस और मुख्य सचिव ऑफिस को निर्देश दिया था कि वे सभी डीएम और एसपी के लैंडलाइन पर फोन करें और चेक करें कि वे जनसुनवाई के घंटों के दौरान ऑफिस में मौजूद हैं या नहीं। सीएम ने कहा था कि लोगों को लखनऊ में अपनी समस्या ले जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। उनकी समस्याओं का निपटारा लोकल लेवल पर नहीं किया जा रहा है। सीनियर अधिकारियों को पुलिस स्टेशनों और तहसील के ऑफिस का औचक निरीक्षण करना चाहिए। सीएम योगी ने अपने सरकारी आवास पर जनसुनवाई प्रणाली, कानून व्यवस्था, सीएम हेल्पलाइन 1076 समेत कई योजनाओं की समीक्षा की। इसके अलावा सीएम ने जिलों के डीएम और एसपी को अपनी कार्यप्रणाली को सुधारने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनता दर्शन में मिलने वाली समस्याओं का निपटारा जल्द से जल्द होना चाहिए। थानों में मेरिट के आधार पर तैनाती की जानी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि जिन कर्मचारियों की अपराधियों के साथ सांठ गांठ है, उन पर कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि रोज 2 घंटे अपने ऑफिस में जनता की समस्याओं को सुनें। सीएम का मकसद साफ है कि जिस तरह वह सुबह जनता दर्शन कार्यक्रम रखते हैं, उसी तरह की व्यवस्था जिलों में भी होनी चाहिए। सीएम ने निर्देश दिए हैं कि डीएम और एसपी रोजाना सुबह 10 से 12 बजे तक ऑफिस में मौजूद रहें। इस दौरान वह जनता से मिलें और उनकी समस्याओं का निपटारा करें। सीएम ने निर्देश दिए हैं कि मुख्य सचिव आरके तिवारी, एसीएस अवनीश कुमार अवस्थी और डीजीपी मुकुल गोयल इस पूरी व्यवस्था की निगरानी करेंगे। ये अधिकारी ही इस बात को देखेंगे कि कौन अधिकारी सीएम के निर्देश के बावजूद ऑफिस में नहीं बैठ रहा है। जो अधिकारी मौजूद नहीं रहेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।