उत्तराखंड: 2022 में धामी सरकार के गठन के बाद से लालबत्ती की आस लगाए बैठे नेता लगातार सरकार और संगठन के चक्कर काट रहे थे। यही नहीं इन डेढ़ सालों के भीतर कई बार दायित्व बंटवारे की चर्चाएं भी उठी लेकिन दायित्व बंटवारा नहीं हो पाया। वहीं अब जब 10 नेताओं को दायित्व सौंपे गये हैं. दायित्व सौंपने के बाद बीजेपी के अंदरखाने नाराजगी की खबरें सामने आ रही है। जिसे मैनेज करने की कोशिश की जा रही है। वहीं दायित्व बंटवारे के बाद बीजेपी में उठे बवाल को लेकर कांग्रेस को भी मौका मिल गया है।
सरकार ने 27 सितंबर को 10 नेताओं को दायित्व सौपा है। अभी भी करीब 50-60 नेताओं को दायित्व मिलने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि सरकार की ओर से जो दायित्वों की सूची जारी की गई थी। उसमें गढ़वाल क्षेत्र के तीन नेताओं को दायित्व दिया गया है जबकि कुमायूं के 7 नेताओं को दायित्व से नवाजा गया है। जिसके चलते राजनीतिक गलियारों में गढ़वाल के नेताओ के नाराजगी की चर्चाएं जोरों शोरों पर हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं ये भी हैं कि दायित्व ना मिलने से जो नेताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही थी उसको कम करने के लिए ही सरकार और संगठन ने पहले चरण में 10 नेताओं को दायित्व देकर नाराज नेताओं को शांत करने की कोशिश की है क्योंकि दायित्व बांटने की प्रक्रिया शुरू होने से नेताओं में आस जगी है। ऐसे में दायित्व लेने के लिए नेताओं ने परिक्रमा करना शुरू कर दिया है. ऐसे में संभावना है कि दायित्वों की दूसरी सूची भी जारी हो सकती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सबकी सहमति से संगठन के वरिष्ठ नेताओं में से 10 लोगों का चयन कर उनको दायित्व दिया गया है। कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री ने संगठन के नेताओं को एक बड़ा संदेश दिया है कि दायित्व बंटवारे की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में भविष्य में और नेताओं को दायित्व से सौंपा जाएगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि कोई नेता पार्टी में नाराज नहीं होता है। कार्य की दृष्टि से कार्यकर्ताओं का कहां समन्वय करना है। उस पर विचार होता रहता है। हालांकि इस बात को पहले ही तय किया गया था कि बागेश्वर उपचुनाव के बाद दायित्व की पहली सूची जारी की जाएगी। जिसके मद्देनजर पहली सूची जारी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि समय के साथ अन्य कार्यकर्ताओं को सरकार और संगठन द्वारा दायित्व दिए जाएंगे। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट ने बताया कि सरकार के गठन के बाद से ही नेता दायित्व की आस लगाए बैठे थे लेकिन सरकार नेताओं को दायित्व नहीं दे पा रही थी क्योंकि भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। ऐसे में भाजपा के भीतर जो तमाम नाराजगी है. उसको कम करने के लिए ही दायित्व दिए गए हैं लेकिन इससे भी भाजपा को समाधान नहीं मिलेगा क्योंकि एक लंबी लिस्ट है जो दायित्व की आस लगाए बैठे हैं।