देहरादून / हल्द्वानी,
उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए शनिवार को कांग्रेस की ने हरिद्वार और उधमसिंह नगर के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। हरिद्वार से हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को और नैनीताल से राहुल गांधी के करीबी प्रकाश जोशी को टिकट मिला है। जिसके बाद एक बार फिर कांग्रेस में इस्तीफे देने का दौर चल पड़ा। जी हाँ रविवार को कांग्रेस के प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने आखिरकार कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस संबंध में उन्होंने पार्टी प्रदेश प्रभारी को विस्तार से पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि, पार्टी ने समर्थित कार्यकर्ता की उपेक्षा की है।
पार्टी प्रभारी को भेजे पत्र में दीपक बल्यूटिया ने कहा है कि बहुत ही भारी मन से व अपनी अंतरात्मा की आवाज से मैं काँग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के लिए विवश हूँ। काँग्रेस के एक वफादार सिपाही होने के नाते 35 वर्षों से लगातार जन सेवा के साथ-साथ जन मुद्दों को उठाता आया हूँ।
मैं बेहतर तरीके से समाज की सेवा करना चाहता हूँ। मेरी प्रेरणा रहे उत्तराखण्ड के प्रिय नेता विकास पुरुष स्व० नारायण दत्त तिवारी के आदर्शों में चलकर उनके विकास के साथ-साथ उनकी विरासत को आगे लेजाकर समाज की सेवा करना चाहता रहा हूँ। लेकिन काँग्रेस में एक ऐसे विद्यार्थी की तरह महसूस करता हूँ। जिसने बहुत मेहनत करी पर उसे कभी भी इम्तेहान में नहीं बैठने दिया गया और प्रतिभा का प्रदर्शन का मौका दिया। मुझे मेरे उन सांथियों के लिए बहुत पीढ़ा है जो मेरे साथ निःस्वार्थ भाव से जुड़े हैं और मेरे साथ मिलकर संघर्ष करते आए है।
अपनी क्षमता व अपने संसाधनों के अनुसार मेरी पूर्ण कोशिश रही है कि यथा शक्ति जन सेवा करूँ व जन मुद्दों को जानता व सरकार सम्मुख रखूँ। मेरा मानना है कि एक संवैधानिक मुकाम में पहुँचकर जानता की बेहतर सेवा की जा सकती लेकिन काँग्रेस पार्टी द्वारा अवसर देने की बजाय हर समय अनदेखी की गई। जब कोई भी पार्टी का जमीनीं कार्यकर्ता जमीन पर पार्टी के लिए काम करता हो और पार्टी के शीर्ष नेता आपके किए संघर्ष व कार्य को सम्मान करने की बजाय आपको नजरंदाज करें तो बहुत पीड़ा होती है। पार्टी में तमाम गतिरोध व मनोबल गिराने के बावजूद निरन्तर कार्य करना आसान नहीं है। बावजूद इसके 35 वर्षों से एक कर्मठ कार्यकर्ता व वफादार सिपाही की तरह सेवा करता रहा हूँ। मैं उन सभी शुभ चिंतकों और मेरे संघर्ष की यात्रा में सांथ रहे सांथियों से इस आत्मनिर्णय के लिए तहेदिल से क्षमा चाहता हूँ। और विश्वास दिलाता जन मुद्दों के लिए मेरा संघर्ष जारी रहेगा।