हैदराबादः दिल्ली के शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद अब जिस नेता की गिरफ्तारी के कयास सबसे ज्यादा लगाए जा रहे हैं वो हैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता. वह प्रवर्तन निदेशालय के सामने 11 मार्च को पेश होंगी तो वहीं कल बुधवार शाम दिल्ली पहुंचीं तेलंगाना के सीएम की बेटी कविता ने खुद को बुलाए जाने पर कहा कि ईडी घर पर आकर भी पूछताछ कर सकती है. हमने यह निवेदन किया था, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया.
तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान परिषद सदस्य कविता ने यह सवाल भी दागा कि आखिर जांच एजेंसी ED को इतनी जल्दी क्यों है? तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसी वजह से यह कार्रवाई की जा रही है. कविता ने कल बुधवार देर रात ट्वीट कर बताया, “मैं 11 मार्च को नई दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष उपस्थित रहूंगी.”
जांच अधिकारियों बताया कि भारत राष्ट्र समिति की नेता कविता को पहले 9 मार्च को दिल्ली में संघीय एजेंसी के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया था. उनका कहना है कि कविता को हैदराबाद के कारोबारी रामचंद्र पिल्लई के सामने बैठाकर पूछताछ के लिए बुलाया गया है. पिल्लई को ईडी ने सोमवार को गिरफ्तार किया था. अब उनकी गिरफ्तारी पर तलवार लटक रही है.
कैसे आया सीएम की बेटी का नाम
दिल्ली शराब घोटाले के तार दक्षिण तक होने की बात सामने आई है. ईडी ने अपनी रिपोर्ट में कविता का नाम का जिक्र किया. बताया जाता है कि कल्वाकुंतला कविता ने कथित तौर पर अपने सभी 10 मोबाइल फोन को दो अलग-अलग नंबरों से बदला और इसके डिजिटल सबूत नष्ट कर दिए. इस तरह इस घोटाले में पहली बार सीधे तौर पर कविता का नाम सामने आया.
फिर दिल्ली के शराब घोटाले में तेलंगाना में राजनीति गरम होने लगी. राज्य में बीआरएस और बीजेपी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने लगे. इस बीच सीबीआई ने कविता को नोटिस जारी कर 6 दिसंबर को जांच में शामिल होने के लिए कहा. लेकिन कविता ने कहा कि वो इस दिन नहीं आ पाएगी. फिर 11 दिसंबर को अधिकारी सीधे कविता के घर आए और उनसे लंबी पूछताछ की. सुबह से रात तक उनसे पूछताछ होती रही.
ED की दूसरी चार्जशीट
ईडी ने 6 जनवरी 2023 को विशेष अदालत में दूसरी चार्जशीट दायर की, जिसमें यह बात सामने आई कि उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम लेकर समीर महेंद्रू से बात की थी. 8 फरवरी को सीबीआई ने कविता के पूर्व सीए बुचिबाबू को गिरफ्तार कर लिया.
पिछले साल 17 अक्टूबर को 8 घंटे तक सिसोदिया से पूछताछ कर चुके सीबीआई अधिकारियों ने इस साल 18 फरवरी को फिर से सुनवाई में शामिल होने का आदेश जारी किया, लेकिन बजट की वजह से पेश नहीं हो सके. 26 फरवरी को उनसे करीब 8 घंटे तक पूछताछ करने वाले सीबीआई के अधिकारियों ने ऐलान किया कि उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है. 27 फरवरी को रॉस एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया को पांच दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में रखने का फैसला सुना दिया. अगले दिन 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. फिर सिसोदिया के साथ गिरफ्तार किए गए एक और मंत्री सत्येंद्र जैन ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
तो क्या अब सिसोदिया के बाद अब एमएलसी कविता की गिरफ्तारी पर तलवार लटक रही है. इस पूरे मामले में चर्चित नाम है साउथ ग्रुप… फिर असली एंटी साउथ ग्रुप क्या है..? जांच एजेंसियों के अनुसार, YCP सांसद मगुनता श्रीनिवासुला रेड्डी, उनके बेटे मगुनता राघवरेड्डी, अरबिंदो फार्मा के गैर-कार्यकारी निदेशक सरथ चंद्र रेड्डी, बोइन पल्ली अभिषेक, कल्वाकुंतला कविता और रामचंद्रन पिल्लई समेत ग्रुप में कुल 12 लोग हैं. इनमें से 10 को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. अब कहा जा रहा है केसीआर की बेटी कविता और वाईसीपी सांसद मगुनता श्रीनिवासुला रेड्डी ही बचे हैं.
65% शेयरों पर हुई रजामंदी
शराब घोटाले में सीबीआई ने कविता से एक गवाह के रूप में पूछताछ की और उनका बयान दर्ज किया. ईडी की पहली चार्जशीट में घोटाले में उनकी संलिप्तता का जिक्र है. ईडी ने कहा कि कविता ने अरुण रामचंद्रन पिल्लई के माध्यम से फोन पर समीर महेंद्रू से उसी समय बात की थी जब आबकारी नीति का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा था. ईडी ने आरोप लगाया कि सांसद मगुंटा और कविता और अरबिंदो फार्मा के पूर्णकालिक निदेशक शरतचंद्र रेड्डी साउथ ग्रुप के नाम से दिल्ली में शराब के खुदरा कारोबार में एंट्री करने के इच्छुक थे.
ईडी ने यह भी खुलासा किया कि उनके बेटे राघव और प्रेम राहुल सांसद मगुंटा की ओर से प्रतिनिधि होंगे जबकि पिल्लई, बोइनपल्ली अभिषेक और ऑडिटर बुचिबाबू कविता की ओर से प्रतिनिधि होंगे. 2022 की शुरुआत में समीर महेंद्रू सीधे हैदराबाद आए और कविता के घर पर चर्चा की. आरोप है कि उस समय उनके पति अनिल, गोरंटला बुचिबाबू, शरतचंद्र रेड्डी, पिल्लै, बोइनपल्ली अभिषेक और कई अन्य लोग भी मौजूद थे.
कोर्ट में ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के ओबेरॉय मेडेन होटल में आयोजित एक बैठक में, कविता के साथ चर्चा के बाद समीर महेंद्रू 65% शेयरों पर राजी हो गए. कविता के करीबी वेनमनेनी श्रीनिवास राव ने खुलासा किया कि उनके आदेश पर ही पिल्लई ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को एक करोड़ रुपये दिए. कहा गया कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को 100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत की वजह से कविता को इंडो स्पिरिट्स, एल-1 रिटेल स्टोर में हिस्सेदारी मिली. उन्होंने बताया कि कविता का नाम आधिकारिक तौर पर इंडो स्पिरिट्स कंपनियों में कहीं नहीं लिखा है, उनकी ओर से पिल्लई ही हैं. ईडी ने कहा कि पिल्लई ने अपने बयान में कहा था कि उन्होंने मुट्टा गौतम की कंपनियों को कुछ पैसे दिए थे.
शराब नीति घोटाले में अब तक क्या?
अब यह सवाल हर किसी के जेहन में है कि तेलुगू राज्य की नेता का राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की शराब नीति में क्या है संबंध… आखिर तेलंगाना तक इसकी आंच कैसे पहुंच गई. शराब नीति घोटाले में कविता की एंट्री कैसे हुई इसकी पड़ताल के लिए हमें करीब ढाई साल पहले जाना होगा. यह वह दौर था जब कोरोना महामारी से देश उबर रहा था, लेकिन दिल्ली में संघर्ष जारी था. लेकिन इसी बीच दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सितंबर 2021 में नई शराब नीति तैयार करने के लिए आबकारी आयुक्त रवि धवन की अगुवाई में एक विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दे दिया.
5 जनवरी, 2021: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में कैबिनेट की बैठक हुई. कैबिनेट ने मनीष सिसोदिया, कैलाश गहलोत और सत्येंद्र जैन को मिलाकर मंत्रियों का एक समूह बनाने का फैसला लिया.
22 मार्च, 2021: मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट तैयार कर कैबिनेट में पेश किया. तब के आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने विभाग को इस रिपोर्ट को लागू करने तथा साल 2021-22 के लिए नई नीति तैयार करने के निर्देश जारी किए थे.
21 मई 2021: केजरीवाल कैबिनेट ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी.
नवंबर, 2021: दिल्ली की आम आदमी सरकार नई शराब नीति ले आई. केजरीवाल सरकार ने ऐलान किया कि यह नीति 17 नवंबर, 2021 को लागू की जाएगी. उस नीति के अनुसार दिल्ली को 32 आबकारी क्षेत्रों में बांटा दिया गया. निजी विक्रेताओं को सरकार के नियंत्रण वाले शराब लाइसेंस देने का फैसला किया गया. कुल 849 वेंडरों को लाइसेंस दिए गए.
सरकार का कहना था कि वह शराब माफिया और कालाबाजारी को रोकना तथा सरकार के राजस्व को बढ़ाने के मकसद से यह नीति लेकर आई.