उत्तराखंड हरियाणा और दिल्ली के कई स्थानों पर 7 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों पर छापेमारी की थी। बीते रोज टीम ने उत्तराखंड के पूर्व मंत्री व वर्तमान कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत समेत कुछ आईएफएस अधिकारियों के घर व ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की थी। सुबह से शाम तक चली ईडी की छापेमारी कार्रवाई में टीम ने कई स्थानों से नकदी विदेशी मुद्रा और जमीनी दस्तावेज बरामद किए हैं।
ईडी ने 7 फरवरी को की गई अपनी कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि टीम ने धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत बीरेंद्र सिंह कंडारी, बृज बिहारी शर्मा, किशन चंद और अन्य के उत्तराखंड, दिल्ली और हरियाणा के 17 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। तलाशी के दौरान ईडी की टीम को लगभग 1.10 करोड़ नकद बरामद हुए. इसके अलावा करीब 80 लाख रुपए के 1.3 किलोग्राम सोने के आभूषण, लगभग 10 लाख रुपए की विदेशी मुद्रा बरामद की है। इसके अलावा बैंक लॉकर, डिजिटल उपकरण, अचल संपत्तियों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद और जब्त किए गए हैं।
बीती 7 फरवरी को ईडी ने सहसपुर स्थित जमीन और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हुए अवैध कामों के तहत हरक सिंह रावत के देहरादून डिफेंस कॉलोनी स्थित घर, सहसपुर स्थित कॉलेज और उनके पैतृक घर श्रीनगर में छापेमारी की। इसके अलावा हरक सिंह रावत के कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते उनके निजी सचिव रहे बीरेंद्र कंडारी के आवास पर भी छापा मारा था। वहीं ईडी ने देहरादून में पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा के घर पर भी छापेमारी की थी। बृज बिहारी शर्मा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज में अवैध निर्माण और पेड़ों के कटान मामले में संलिप्त हैं. सीबीआई पहले ही उन पर मुकदमा दर्ज कर चुकी है। ईडी ने पूर्व आईएफएस किशनचंद के हरिद्वार स्थित नंद बिहार कॉलोनी वाले घर पर भी छापेमारी की थी। किशनचंद पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत इससे पहले भी कार्रवाई हो चुकी है। उनके हरिद्वार और रुड़की में स्थित भूमि और भवन के साथ स्कूल और स्टोन क्रशर प्लांट को भी धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत अटैच किया जा चुका है। ईडी ने बताया कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर वीरेंद्र सिंह कंडारी और अन्य के खिलाफ आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत जांच शुरू की गई। जांच में पता चला कि आरोपी वीरेंद्र सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया ने हरक सिंह रावत के साथ मिलकर आपराधिक साजिश करते हुए एक जमीन (जिसके लिए कोर्ट ने सेल डीड कैंसिल कर दी थी) की दो पावर ऑफ अटॉर्नी रजिस्टर कराई थी। इसके अलावा, आरोपी व्यक्तियों ने उस भूमि को अवैध रूप से दीप्ति रावत (पत्नी हरक सिंह रावत) और लक्ष्मी सिंह को बेच दिया था। इस जमीन पर पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, देहरादून का निर्माण किया गया है। इसी के साथ विजिलेंस द्वारा आईपीसी, वन संरक्षण अधिनियम, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम और पीसी अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत रजिस्टर्ड FIR के आधार पर ईडी ने बृज बिहारी शर्मा, किशन चंद और अन्य के खिलाफ जांच शुरू की. ईडी की जांच से यह पता चला कि आरोपी किशन चंद (तत्कालीन डीएफओ) और बृज बिहारी शर्मा (तत्कालीन वन रेंजर) ने अन्य अफसरों और तत्कानीन वन मंत्री हरक सिंह रावत के साथ मिलकर आपराधिक साजिश के तहत अधिकृत वित्तीय शक्तियों से अधिक राशि का टेंडर प्रकाशित करवाया जो उत्तराखंड सरकार के नियमों के अनुसार नहीं था। जांच में ये भी पता चला कि इन लोगों ने फर्जी दस्तावेज भी बनाए और टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन और कैंपा मद के तहत धन का दुरुपयोग किया और उत्तराखंड सरकार को करोड़ों रुपये का गलत नुकसान पहुंचाया और कॉर्बेट में 163 पेड़ों की बजाय 6000 से अधिक पेड़ों को अवैध रूप से काटा।