उत्तराखंड की राजधानी देहरादून समेत पूरे प्रदेश भर में परिवहन नियमों का पालन न करने पर आम जनता का तो चालान काट दिया जाता है लेकिन शासन और विभागों के अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। दरअसल जो प्राइवेट गाड़ियां, सरकारी दफ्तरों में लगाई गई हैं वो टैक्सी नंबर हैं जिसका नंबर प्लेट पीला रंग का होता है। बावजूद इसके इन सभी टैक्सी गाड़ियों को सफेद नंबर प्लेट लगाकर चलाया जा रहा है या अधिकारियों को पीला नंबर प्लेट पसंद नहीं आ रही है। ऐसे में परिवहन विभाग पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर ऐसे वाहनों पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
उत्तराखंड राज्य विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है। यही वजह है कि राज्य की वित्तीय स्थिति कुछ खास ठीक नहीं है। साथ ही तमाम महत्वपूर्ण विकास कार्यों के लिए राज्य, केंद्रांश पर निर्भर रहता है। यही वजह है कि अधिक से अधिक गाड़ियों को खरीदने के बजाय टैक्सी गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा हैं। मौजूदा समय में विभागों, निगमों, आयोगों समेत अन्य जिला कार्यालयों में टैक्सी गाड़ियों का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन टैक्सी संचालक भारत सरकार की मोटर व्हीकल एक्ट का जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। उत्तराखंड राज्य में लगभग 60 विभाग हैं। हालांकि तमाम विभागों में विभागीय गाड़ियां हैं। साथ ही टैक्सी गाड़ियों का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी क्रम में सचिवालय के भी तमाम अधिकारी टैक्सी गाड़ियों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। इन तमाम टैक्सी गाड़ियों में से अधिकतर गाड़िया पीली नंबर प्लेट की जगह सफेद नंबर प्लेट पर संचालित हो रही हैं. जबकि चौंकाने वाली बात यह है कि इन गाड़ियों में अधिकारी सफर करते हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल यही खड़ा हो रहा है कि आखिर किसके कहने पर इन गाड़ियों के नंबर प्लेट के साथ छेड़छाड़ की गई है। कोई भी वाहन जो कमर्शियल है उसको भारत सरकार के मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पीला नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य है। पैसेंजर का जो टैक्सी वाहन होता है वो TA, TB, TC, TD यानी T सीरीज से शुरू होता है और ऐसे वाहनों पर सिर्फ पीली नंबर प्लेट ही लगाई जा सकती है। ऐसे में सफेद नंबर प्लेट लगाना बिलकुल नियम विरूद्ध है. साथ ही कहा कि कोई भी टैक्सी गाड़ी हो उसकी नंबर प्लेट पीली ही होगी और अगर नंबर प्लेट से कोई छेड़छाड़ की जाती है तो परिवर्तन में कार्रवाई की जाती है। इसके साथ ही गाड़ियों में लगने वाली नंबर प्लेट, एचएसआरपी (हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट) होनी चाहिए।
उत्तराखंड सचिवालय समेत तमाम विभागों में लगाई गई टैक्सी गाड़ियों में से अधिकांश टैक्सी गाड़ियों में पीली नंबर प्लेट की जगह सफेद नंबर प्लेट लगाकर संचालित किए जा रहे हैं। यही नहीं, ये नंबर प्लेट, हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट भी नहीं हैं। जिसके सवाल पर आरटीओ सुनील शर्मा ने बताया कि आरटीओ की ओर से विभागों, विभागाध्यक्षों और राज्य संपत्ति विभाग को बकायदा नोटिस भेजे गए हैं की वो अपने स्तर से सुनिश्चित करें कि जो टैक्सी गाड़ियां लगाई गई हैं और उसको सफेद नंबर प्लेट से संचालित न किया जाए। साथ ही आरटीओ ने बताया कि दो तरीके से चालान की कार्रवाई की जाती है। जिसके तहत एक मोबाइल टीम और दूसरा कैमरे के माध्यम से चालान की कार्रवाई की जा रही है। टैक्सी गाड़ी में अगर पीली प्लेट की जगह व्हाइट प्लेट लगी हुई है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि गाड़ी में कौन बैठा है। क्योंकि ये अवैध है लिहाजा मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की जायेगी। इसके साथ ही अगर किसी को हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनवाने में कोई दिक्कत आ रही है तो वो सीधे आरटीओ में संपर्क कर सकते हैं।