इस्लामाबाद: पाकिस्तान के स्कूलों में भारत और हिंदुओं के लिए नफरत से भरी इतिहास की पुस्तकों को पढ़ाया जा रहा है. न्यूज-18 द्वारा की गई है. में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल बुक फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित कक्षा 8 और 9वीं की पाठ्यपुस्तकों में भारत और हिंदुओं के लिए ऐसी कहानी देखी जो सच नहीं है. इन किताबों में देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नकारात्मक संदर्भ का उल्लेख किया गया है.
पाठ्यपुस्तक सामग्री तैयार करने में शामिल शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का अपने बच्चों को पढ़ाने का नजरिया शुरू से ही भारत विरोधी रहा है जबकि भारत का नजरिया सभी देशों और धर्मों का समान रूप से सम्मान करने का रहा है. कक्षा 8 की इतिहास की किताब में ब्रिटिश काल के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के गठन पर अध्याय है. जिसमें बताया गया है कि कई भारतीयों ने भारत के राष्ट्रवाद की मांग के लिए हाथ मिलाया इसलिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूरे भारत की आवाज नहीं बल्कि एक हिंदू राजनीतिक दल की आवाज अधिक बन गई.
इस पुस्तक में महात्मा गांधी का परिचय देते हुए बताया गया कि, उन्होंने ब्रिटिश शासन से आजादी के लिए भारत की लड़ाई का नेतृत्व किया लेकिन वह केवल हिंदू नेता के रूप में थे. गांधी और उनके युवा समर्थकों ने कांग्रेस की कमान संभाली और बहुसंख्यक हिंदू के दृष्टिकोण के वजह से उन्होंने मुस्लिम अधिकारों की अवहेलना की. जिससे नफरत, ईर्ष्या और संकीर्णता पैदा हुई.
इस किताब में बार-बार एक ही उदाहरण से समझाया गया है कि मुसलमान हिंदुओं पर भरोसा नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें बंगाल के विभाजन में एहसास दिलाया गया है कि वे हिंदू बहुसंख्यकों से किसी निष्पक्ष खेल की उम्मीद नहीं कर सकते. किताबों में पाकिस्तान के जन्म के बारे में हर दूसरे अध्याय में जिक्र है, जो ब्रिटिश शासन के दौरान भारत का हिस्सा था. इस तथ्य पर भी जोर दिया गया है कि भारत के मुसलमान हमेशा से एक मुस्लिम राष्ट्र के रूप में अलग होना चाहते थे लेकिन पुस्तक में उसने अखंड भारत का कहीं भी जिक्र नहीं किया है. जब भारत में हिंदू और मुस्लिम दोनों ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी. इस किताब में पाकिस्तान ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में मुसलमानों की भागीदारी को लेकर बार-बार “मुस्लिम राष्ट्रवाद” का ठप्पा लगाया है. किताब के अधिकतर पन्नों पर जिक्र है कि मुसलमानों को हिंदू बहुसंख्यकों के हाथों प्रताड़ित किया गया है.
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के पूर्व निदेशक जेएस राजपूत ने कहा कि भारत में सभी धर्मों के सम्मान की सदियों पुरानी परंपरा रही है. मैंने कई बार पाकिस्तान का दौरा किया है और इसकी पाठ्य सामग्रियों से वाकिफ हूं. उनका दृष्टिकोण अन्य धर्मों के लिए घृणा सिखाने का है. वहां पूरा माहौल भारत विरोधी है. उन्होंने कहा कि किसी भी देश का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि एक बच्चा अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान स्कूल में क्या सीखता है, इस शिक्षा का प्रभाव उनके दिमाग पर स्थायी रूप से पड़ता है. भारत में NCERT इतिहास की पाठ्यपुस्तक लिखते समय, हमारा जनादेश था, ‘एक भी शब्द किसी धर्म या राष्ट्र के खिलाफ नहीं हो सकता है और हम अभी भी इसका पालन करते हैं.’