नई दिल्ली. तहरीके तालिबान पाकिस्तान (TTP) से निपट पाने में पाकिस्तान (Pakistan) खुद नाकाम है, लेकिन वह माइंड गेम खेलने से बाज नहीं आ रहा. पाकिस्तान, खबरों के जरिए माहौल बना रहा है कि अमेरिका एक बार फिर अफगानिस्तान में वापसी कर रहा है. पाकिस्तानी मीडिया की मानें तो पाकिस्तान की सबसे बड़ी मुसीबत का कारण TTP बन गया है. पाकिस्तान सेना टीटीपी के हमलों को नाकाम और या कहें झेल पाने की हालत में नहीं है और पाकिस्तान की एजेंसियों ने TTP पर लगाम लगाने के लिए तालिबान (Taliban) को अमेरिका का डर दिखाना शुरू कर दिया है. पाकिस्तान फायर आर्म के इस्तेमाल के बजाए प्रोपेगेंडा वारफ़ेयर के ज़रिए टीटीपी पर लगाम लगाने की फ़िराक़ में है.
पाकिस्तानी मीडिया की माने तो इस साल फ़रवरी में यूक्रेन वॉर के एक साल पूरे होने के मौक़े पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नॉर्वे, स्विट्ज़रलैंड और यूनाइटेड किंगडम के स्पेशल एनवॉय की एक बैठक हुई थी. इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई और साथ ही अफ़ग़ानिस्तान के हालातों पर भी चर्चा हुई जिसमें टीटीपी के बढ़ते ख़तरे पर भी चर्चा की गई. पाकिस्तान की लगभग सभी मीडिया रिपोर्ट में इस बात को प्रमुखता दी गई कि अफ़ग़ानिस्तान में तख्तापलट हो सकता है और अमेरिका अब एक बार फिर से अफ़ग़ानिस्तान में वापसी कर सकता है. दरअसल, इसी अमेरिका की वापसी का डर दिखाकर तालिबान से टीटीपी पर कार्रवाई कराने का प्रयास करने में जुटा है.
TTP पर कार्रवाई करने को लेकर पाकिस्तान रक्षा मंत्री को तालिबान ने दो टूक जवाब दे दिया था कि TTP की लीडरशिप तो उनके अफ़ग़ानिस्तान पर क़ाबिज़ होने से पहले ही पाकिस्तान जा चुकी थी और अब उनका कोई भी कमांडर अफ़ग़ानिस्तान से ऑपरेट नहीं करता. यानी साफ़ संकेत दे दिए थे कि तालिबान TTP पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने वाला. रक्षा मामलों के जानकार के मुताबिक़ अमेरिका की वापसी की संभावना अफ़ग़ानिस्तान में न के बराबर है. अभी अमेरिका और बाक़ी पश्चिमी देश, रूस के साथ अप्रत्यक्ष तौर पर जंग लड़ रहे हैं और दूसरी तरफ़ चीन के साथ ताइवान और साउथ चाइना सी में व्यस्त है. ऐसे में अमेरिका तीसरा मोर्चा अफ़ग़ानिस्तान में खोलने का जोखिम नहीं उठा सकता. पाकिस्तान को भी ये भली भांति पता है कि टीटीपी पर लगाम लगाना है तो तालिबान पर दबाव बनाना जरूरी है. चूँकि तालिबान, पाकिस्तान की एक नहीं सुन रहा है ऐसे में तालिबान सरकार को अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा तख़्ता पलट का डर दिखाकर क़ाबू में लाया जा सकता है और उसी के मद्देनज़र पाकिस्तान माहौल भी बना रहा है.